Thursday, May 13, 2021

बिहार शिक्षक बहाली में और कितना देर?


 2011के बाद 2017 में BETET परीक्षा हुई जो 1-5 व 6-8 कक्षा के लिए थी..क्योंकि 2011 वाले प्रमाणपत्र की वैद्यता समाप्त होने वाली थी।


इस परीक्षा परिणाम में हुए गड़बड़ी का शिकायत लेकर अभ्यर्थी कोर्ट पहुँचे, 2019 आते तक यह मामला खत्म हुआ।


शिक्षा विभाग कोई विज्ञप्ति नही निकाली तो अभ्यर्थी जगह जगह आंदोलन किये, लाठीचार्ज हुई तब जाकर इसका विज्ञापन 2019 में निकाला गया। जिसमें विज्ञापन निकाले जाने के तिथि तक BETET या CTET पास को मौका दिया गया


विज्ञापन में बदलाव होते रहे इसी बीच NIOS D.El.Ed वालों ने इस बहाली में शामिल होने के लिए केस किया। 21 जनवरी 2020 को फैसला आया कि ये भी अब इस बहाली में भाग लेंगे।

इन्हें भी अप्लाई करने का मौका मिला।


इसी बीच दिसंबर 2019 CTET वालो ने केस किया कि उन्हें भी शामिल किया जाए। ये भी केस कई महीनें चला।


इसके साथ ही D.El.Ed प्राथमिकता को लेकर B.Ed वालों ने केस किया। क्योंकि विज्ञापन के अनुरूप मेरिट नहीं बनाई गई।यह भी केस कई महीनों तक चला।


हर केस में एक समस्या सामान्य रही कि विभाग के प्रतिनिधिकर्ता जिसके AG भी कह सकते है अनुपस्थित रहते थे, जिससे केस टलता रहता था।


मेरिट लिस्ट बनाने, प्रकाशित करने इत्यादि के लिए समय समय आंदोलन करना पड़ता रहा है।विभाग सुस्त हो जाती तो बड़े अधिकारी से मिल कर इसमें तेजी लाने के लिए कहना, सोशल मीडिया पर आवाज उठाना आम सी बात हो गई है।


अततः दिसंबर 2020 के प्रथम सप्ताह में कोर्ट ने विभाग को अतिशीघ्र काउंसलिंग डेट जारी करने को कहा।


विभाग इसमें सक्रियता नहीं दिखाई। अभ्यर्थी लगातार माँग करते रहे।आखिर में वो 18 जनवरी 2021 से गर्दनीबाग में धरने पर बैठे।


इस धरने में लाठीचार्ज भी हुए, विपक्षी नेता का भी काफी सपोर्ट मिला, राष्ट्रीय मीडिया भी इस मुद्दे को उठाया। फिर भी ना ही सरकार के तरफ से कोई बयान आया न विभाग के अधिकारी के तरफ से।

झूठी आश्वासन दे कर आखिर में यह आंदोलन को समाप्त करवाया गया।


इसके बाद भी विभाग सक्रिय नहीं हुआ, फिर एक ब्लाइंड फेडरेशन का केस सामने आया।


विभाग व शिक्षामंत्री द्वारा बोला गया कि इसे अर्जेंट केस में रखा जाएगा और इससे उसी दिन लीव मिलने की बात जोर देकर कहा गया। विभाग का सक्रियता कहे या लापरवाही यह केस 5 अप्रैल 2021 को 195 नम्बर पर लिस्टेड हुई। जिसके सुनवाई अब लगभग आधा मई बीत जाने तक नहीं हो पायी है।


इसके बावजूद न बिहार सरकार के कोई मंत्री, न शिक्षामंत्री, और न ही शिक्षा विभाग के कोई अधिकारी इसपर अपना बात रख रहे है।


और इधर शिक्षक अभ्यर्थी समय समय में सोशल मीडिया के माध्यम से अपना दर्द साझा करते नजर आ रहे है।


इस कोरोना काल जहाँ एक तरफ लोग अपने जीवन को बचाने की लड़ाई लड़ रहे है तो दूसरी तरह ये शिक्षक अभ्यर्थी अपने अधिकार की लड़ाई लड़ रहे है।